The Girl in Plain Sight
the little girl
is growing up in plain sight
in the body’s darkness
half inside the house’s goodness
half trembling in the evil
outside
the adults at home
repeat the saying
“the little girl doesn’t know anything”
every doubt makes her wiser
every dream
makes her a little bit bigger
blessings, love, attention ...
but all around her
is chaos
no one knows
sometimes not even the little girl
when the thief will come to steal her
inside the locked doors
the thief
in plain sight
can make her bold
or scared
and everyone sees
O, mind!
school isn’t needed
for you to race ahead
no matter how far you run
your hooves will never break
the little girl can see
invisible things
she can tell the difference
between dad and dad’s face
where is that elephant
whose trunk coming out of the blouse’s arm
becomes mom’s hand?
in plain sight of everyone in the room
everything about the little girl is changing
a road extends from her room
where trees
are standing bent like the old
with their backs toward the gardens
outside the window
a river pulls the little girl aside
to show her the way
and she passes between harvests
like a cat
there she’s friends
with the sort of tree
that two can hide behind
not two people
but the one
and the one that is not the one
Another Road
what fifty days ago was an egg
is now flying around my head
a nest must be nearby
once its day
flew from my day
and departed
the flight
is vibrating like a wire
where
I can also dry my clothes
one day
a canal will appear like a branch
it might turn
in the direction of the wasteland
the river doesn’t know
should I stop here
or is there another road
than the one
leading to the sea
if I stop here
will the birds and the animals
be happy to live here
near the leaves
there is a smell that whets the appetite
if an animal was here
would it know
how much pleasure and food there is
near these leaves
in this solitude
suddenly memories of my family
gather in my mind
kids and being around kids
like nails being driven into me
at any moment the air in my lungs
might give way
निगाह में रखी हुई
निगाह में रखी हुई छोटी
शरीर के अँधेरे में बड़ी हो रही है
उसका एक पैर घर की अच्छाई में
दूसरा
बाहर की बुराई में डगमगा रहा है
घर के बड़े 'छोटी कुछ नहीं जानती'
का फायदा उठा रहे हैं
हर शंका के साथ फरार
हर सपने के साथ
बड़ी होकर लौटती
दया, प्यार, निगाह
छोटी के चारों ओर
बहुत-सी गड़बड़ है
पर कोई नहीं जानता
यहाँ तक कि कभी-कभी छोटी भी नहीं
कि चोर उसे किस समय चुराता है
बंद दरवाज़ों के भीतर
निगाह के घेरे में चोर
कभी उसका साहस
कभी उसका डर बन जाता है
सबके बीच
मन !
तेरी सवारी के लिए
स्कूल ज़रूरी नहीं है
तू कितना ही दौड़े तेरे खुर नहीं फटते
जो जहाँ नहीं
छोटी उसको वहां देखती है
जैसे कि पिता और पिता के चेहरे में से
कौन पिता है?
वो हाथी कहाँ है
ब्लाउज़ की बाँह में जिसकी सूँड
माँ का हाथ बन जाती है?
कमरे-सहित निगाह में रखी हुई
छोटी की हरेक चीज़ बदल रही है
उसके कमरे से एक सड़क निकलती है
पेड़ जिस पर
बूढ़ों की तरह झुके
बगीचे की ओर पीठ फेरे खड़े हैं
खिड़की से बाहर
एक नदी निकलती है
जिसने सिकुड़कर छोटी को रास्ता दिया
और फसलों के बीच से
वह बिल्ली की तरह गुज़रती है
वहां उसकी दोस्ती
एक ऐसे दरख्त से है
जिसके पीछे दो छिप सकते हैं
कोई-से दो नहीं
बल्कि एक वह खुद
और एक जो वह खुद नहीं है।
एक दूसरा रास्ता
पचास दिन पहले जो एक अण्डा थी
अचानक मेरे सिर पर मँडरा गयी
यहाँ ज़रूर कोई घोंसला है
उसका एक दिन
मेरे दिन में से उड़कर
चला गया
उड़ान
तार की तरह झनझना रही है
जिस पर मैं अपने कपड़े तक
सुखा सकता हूँ
टहनी की तरह निकलकर
एक नहर
किसी दिन बंजर की ओर
बढ़ सकती है
नदी को नहीं मालूम
अगर मैं यहाँ टिक जाऊँ
तो समुद्र के अलावा
एक दूसरा रास्ता भी है
अगर मैं टिक जाऊँ
तो चिड़िया और जानवर
दोनों यहाँ रहना पसंद करेंगे
पत्तियों के पास
भूख भड़कानेवाली गंध है
कोई जानवर होता तो पता चलता
इन पत्तियों के पास
कितना स्वाद और कितनी खुराक है ?
इस एकांत में भड़की हुई
सपरिवार यादें
मन को सराय बना रही हैं
बच्चे और बच्चों के रिश्ते
मुझे कील-से खरोंच रहे हैं
किसी भी समय मेरे फेफड़ों की हवा
निकल सकती है।